Saturday, July 31, 2010

Thursday, July 15, 2010

कर्क लग्न विचार

कर्क लग्न विचार
कर्क राशि में जन्मे जातक प्रायशः बचपन में दुबले और बाद में मोटे शरीर वाले हो जाते है | इनका कद मध्यम होता है | ये शांत,विनम्र,परिश्रमी, दृढ़ निश्चयी,उदार,कोमल हृदयी,संवेदन शील,भावुक,और स्वच्छ आचरण वाले होते है| इनके अन्दर कल्पना व चिंतन शक्ति ज्यादा होती है |  अपने मुताबिक काम न होने पर ये क्रोधित हो जाते हैं | यदि चन्द्रमा पाप प्रभाव से मुक्त हो तो ये समाज में प्रिय और सम्माननीय होते हैं | ये अपना स्थान जनता के बीच में अपने से ही बना लेते है इनको बहुत किसी की आवश्यकता नहीं होती | इनको यश और धन जीवन में पर्याप्त मिलता है | ये परिवार से प्यार करते हैं और अपने संतान को सफल बनाने के लिए उसे पूर्णतया प्रेरित करते हैं | ये भ्रमण शील स्वभाव के होते हैं | ये अपने सूझ-बूझ से पर्याप्त धन एकत्रित करते हैं| कभी कभी ये लोग अनावश्यक चिंता करते हैं | बहुत ही कोमल स्वभाव के होने के कारण तुरंत चिंतित भी हो जाते हैं | इनको शीतल प्रदेश से बहुत लगाव होता है | ये स्त्री वर्ग से बहुत प्रेम करते हैं| यदि इनका जन्म पुष्य नक्षत्र में होता है तो ये सुभग ,सुन्दर,प्रसिद्धि को प्राप्त करने वाले होते हैं | ये स्वभाव से सभी की मदद करने वाले दयालु होते हैं | सच्ची बात कहना और सुनना इनका स्वभाव होता है | प्रायः ये लोग भारी शरीर वाले नहीं होते हैं अर्थात इनका शरीर सुगठित होता है | इनके अन्दर काम वासना ज्यादा होती है पर ये अवैध संबंधों से दूर ही रहते हैं | विविध कलाओं को जानना , उन्हें परखना,प्रशंसा करना,कला रसिक होना,इनके व्यक्तित्व के अतिरिक्त गुण होते हैं| ये लोग रूखे नहीं होते हैं अर्थात हास-परिहास में कुशल होते हैं| ये लोग माता पिता का सम्मान करने वाले होते हैं| इतिहास और देश प्रेम से इनका स्वाभाविक सम्बन्ध होता है | इनका जीवन यापन चन्द्रमा के अनुसार ही ज्यादातर देखा  गया है | इनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस स्थान में होता है उसी स्थान के अनुसार इनके आय के साधन होता है | चंद्रमा पर जिन ग्रहों का प्रभाव होगा वे ग्रह भी कारक होंगे| यदि चंद्रमा १ (लग्न) में होगा तो स्वयं का व्यवसाय,२ विद्या के द्वारा,३ यात्रा और दलाली के द्वारा,4स्थिर संपत्ति के द्वारा, ५
बुद्धि के द्वारा, ६ नौकरी के द्वारा,७ पत्नी\ व्यवसाय के द्वारा,८ साहसिक कार्यों के द्वारा, ९ धार्मिक कार्य और शिक्षा के द्वारा,१० स्वतंत्र व्यवसाय के द्वारा, ११ पारिवारिक व्यवसाय के द्वारा,१२ यात्रा और भासन कला के द्वारा जीवन यापन होता है | आगे कर्क कुंडली में ग्रहों का क्या फल होगा ? इस विषय पर विचार करेंगे |
पाठकों से निवेदन है क़ि यह विषय आपको कितना प्रभावी  लगा जरूर लिखें | 

कार्य सिद्धि मंत्र

कार्य सिद्धि मंत्र
कवन सो काज कठिन जग माहीं| जो नहिं होत तात तुम्ह पाहीं||
इस चौपाई का प्रतिदिन १०८ बार जप करने से कार्य सिद्धि हो जाती है| इस मन्त्र का जप करते समय हनुमान जी का चित्र सामने होना आवश्यक है |

Wednesday, July 14, 2010

मंत्र

मंत्र
आज हम  कुछ चीजों पर तो मन्त्रों का अस्तित्व स्वीकार करते हैं और कुछ स्थानों पर नहीं | यह भारत भूमि की ही विशेषता है जहाँ यह विज्ञान मानव जीवन के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी हुआ| व्याकरण के अनुसार "मननात त्रायते इति मन्त्रः'' अर्थात बार बार मनन करने से और जप करने से जो फलीभूत होता है वह मंत्र कहलाता है | प्राचीन काल से ही मानव सुख की खोज में है हर मनुष्य अपने अनुसार सुख की कल्पना भी करता है कोई धन से सुखी ,कोई बल,कोई विद्या और कोई स्वास्थ्य से सुख की कल्पना करता है | इस खोज के उपरांत जब मानव अपने इप्सित वस्तु को प्राप्त कर लेता है तब भी वह सुखी नहीं होता | वस्तुतः हमारे ऋषियों का कहना है जीव सुख की खोज में नहीं अपितु आनंद की खोज में है और आनंद को वह नश्वर वस्तुओं में खोजता है अब यदि अमुक वस्तु में आनंद होता तो उस वस्तु का स्वामी तो बहुत ही सुखी होता | अर्थात मानव वस्तु से सुखी नहीं होता है | अब यदि मनुष्य के दुःख या सुख के कारण पर विचार करें तो यह ज्ञात होता है कि '' मन एव मनुष्यानाम कारणं बंध मोक्षयो:'' देवी भागवत
मन ही मनुष्य के दुःख और सुख का कारण है | अब यदि मन ही मनुष्य के दुःख या सुख का कारण है मन से कैसे सुख प्राप्त करें ?
इसके लिए योगियों ने योग,भक्तों ने भक्ति ,वैराग्य आदि मार्गों का सहारा लिया | सभी ऋषियों और मुनियों ने आनंद प्राप्ति के अनेक मार्ग बतलाये | जैसे - ''योगः चित्त वृत्ति निरोधः '' पातंजल योग प्रदीप में बताया गया कि योग अर्थात चित्त कि वृत्तियों का निरोध करना | उसी मार्ग का यह एक साधन है मन्त्र साधना मानव हमेशा ही विषयों का खोजी रहा है वह अपने अनुसार अपनी आवश्यकताओं कि पूर्ति हेतु मन्त्र के भी कई प्रयोग निकलता गया | आज हम कई रूप में मन्त्रों को प्राप्त कर रहे हैं | मन्त्रों के कई भेद है | हर समाज में अपने मंत्र है | हर धर्म में मन्त्रों का एक विशाल संग्रह देखा जा सकता है | मन्त्रों कि भाषा और prayog  भी अलग-अलग हैं और उन सभी मंत्रो का प्रभाव भी व्याप्त है | यद्यपि आज कई तथा कथित मन्त्र ज्ञाता लोग मन्त्रों के नाम पर लोगों को बेवकूफ भी बना रहे हैं और हम पढ़-लिखकर भी मूर्खो कि मूर्खता में आ  जाते हैं...............  

शनि विचार

शनि
आसमान में दिखने वाले सभी ग्रहों से दूर  रहने वाला यह ग्रह
कर्म का कारक है | आज समाज  में कई प्रकार की भ्रांतियां  हैं कि यह ग्रह दुःख दायक है यदि शास्त्र के अनुसार देखें तो यह मालूम चलेगा कि यह ग्रह बिना परिश्रम के कुछ भी नहीं देने वाला | शनि मेहनत करने वालों का मित्र है| यह अन्धकार में भी प्रकाश कि इच्छा रखने वाला ग्रह है अर्थात हर स्थिति पर यह कर्म का प्रतीक है| आज कलयुग में सबसे ज्यादा फलीभूत होने वाला ग्रह शनि ही है | 
यह ग्रह मकर और कुम्भ राशि स्वामी और तुला में उच्च का होता है | मेष में जाकर यह ग्रह नीच का फल देता है| 
शनि के गुण
या ग्रह सभी ग्रहों कि अपेक्षा बहुत ही धीमे चलने वाला ग्रह है | यह ग्रह बहुत ही सोच समझकर कार्य करने वाला स्वभाव देता है | यदि कुंडली में शनि अध्यात्म का कारक बन जाता है तब यह बहुत ही सूक्ष्म वैराग्य देता है| 
    

शुक्र विचार

शुक्र  
ग्रह मंडल में सबसे ज्यादा सुन्दर और चमकीला ग्रह शुक्र है | यह स्त्री कारक ग्रह है | सबसे ज्यादा आकर्षण,मन मोहकता,खूबसूरती शुक्र में है| यह ग्रह वृष  और तुला राशि का स्वामी है | यह मीन में उच्च होता है |
शरीर के हिस्से
गला,गर्दन,गले के स्नायु,आँखे,शुक्राणु,मूत्राशय,गर्भाशय,
गुण
खूबसूरती की पहचान,कलाप्रिय,भिन्न लिंग का प्रति आकर्षण,मधुर भाषी,दयावान,समझदार,अच्छा स्वभाव,
कार्य क्षेत्र
चित्रकार,नर्तक,कलाकार,वादक,गायक,शक्कर के कारखाने,मिठाई,चाय,कॉफी,रबर,चश्मे  की दुकान,काँच,पेंटर,मेकअप,खुसबूदार चीजें,पम्प,शराब,
रोग
गला गर्दन के रोग, आँखों के रोग, शराब पीने के कारण  होने वाले रोग,यौन सम्बन्धी रोग,मूत्राशय के रोग, गुप्त रोग, मधुमेह, त्वचा के रोग,मासिक धर्म क्र रोग, 

Sunday, July 11, 2010

गुरु विचार

गुरु विचार
  गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेवो महेश्वरः |
 गुरु:साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||
अर्थात गुरु ही ब्रह्म है,गुरु है विष्णु है, गुरु ही शिव है और गुरु ही साक्षात् परं ब्रह्म है | अतः उस परं पद श्रेष्ठ गुरु को नमस्कार है|
"देव मंत्री गुरु: गेयः"
गुरु को ज्योतिष शास्त्र में देवताओं का मंत्री माना गया है| गुरु धनु और मीन  राशि का स्वामी है| गुरु कर्क राशि में उच्च और मकर राशि में नीच का प्रभाव देता है|
शरीर में गुरु का स्थान व प्रभाव
रक्त प्रवाह , पैर के उपरी हिस्से,पैर का तलवा,टयूमर,लीवर,
गुरु का स्वभाव
यह शांत,तपस्वी,धर्मिक गुणों से युक्त,साधक,अच्छे सलाहकार और न्याय प्रिय होते हैं|
कार्य क्षेत्र
शिक्षा,जेल,नेवी,अदालत से जुड़े कार्य,अस्पताल ,देवपूजन,विदेशी संस्थाएं,ट्रस्ट,डेवलप मेंट,से जुड़े कार्य,
रोग   
पीलिया,लीवर के रोग,सूजन,चर्बी का बढना,कैंसर आदि   

बुध विचार

   बुध
"बुधो राजकुमारः च " अर्थात बुध ग्रह को राजकुमार माना गया है |
बुध कन्या और मिथुन का स्वामी है| यह ग्रह कन्या में १५ अंशों तक परम उच्च और १५ अंशों के बाद मूल त्रिकोण माना गया है | बुध मीन में नीच प्रभाव देता है | यह ग्रह हमेशा सूर्य के आस - पास ही रहता है | सूर्य .शुक्र,शनि,राहु इसके मित्र और मंगल ,गुरु इसके शत्रु हैं| 
बुध का स्वभाव
बुध का अधिकार वाणी पर है अतः इसके प्रभाव से जातक बातूनी,अच्छा अनुमान करने वाला,वाक चंचल,एक साथ कई चीजों को सोचने वाला,पढ़ने-लिखने का शौक़ीन  और तार्किक बुद्धि वाला होता है|
बुध के प्रभाव से होने वाले रोग
बुध का वाणी से सम्बन्ध है अतः वाणी से सम्बंधित  रोग, श्वांस सम्बन्धी रोग,अस्थमा,टी.वी.,दमा,कान के रोग
बुध प्रभावित कार्य
शिक्षक,प्रोफ़ेसर,दलाल,वकील,सलाहकार,रिपोर्टर,लेखक,
संपादक,प्रकाशक,अनुवादक,फोन,कंप्यूटर,ज्योतिष,और वक्ता|  

Tuesday, July 06, 2010

Mangal

ग्रह विचार माला में हम अब मंगल के विषय पर चर्चा करते है -
मंगल ग्रह को पुराणों के अनुसार भूमि का  पुत्र माना जाता है|  मंगल ग्रह को ज्योतिष में सेनापति माना जाता है|
अग्नि ,शक्ति,इच्छाशक्ति ,लीडरशिप,वासना,आत्मविश्वास,प्रभुता,मारक क्षमता,लड़ाई,आदि
शरीर के हिस्से
मज्जा ,कन्धा, गर्भाशय,प्रोस्टेट ग्रंथि,बांया कान,स्नायु,चेहरा,सिर,
गुण
गर्म स्वभाव , अधिकारी वृत्ति,नेतृत्व क्षमता, प्रभुता,शीघ्र कोपी,मेहनती,
कार्य क्षेत्र
सैनिक , पुलिस,साहसिक कार्य,सुरक्षा विभाग,दवा सबंधी व्यवसाय ,दांतों का डॉक्टर,सर्जन,नाई,लोहा  तथा स्टील के कारोबार,भोजन निर्माता,अग्नि से सम्बंधित कार्य, भाप के इंजन,लाल रंग से सम्बंधित कार्य, नुकीले हथियारों के कार्य आदि,

Saturday, July 03, 2010

chandra

Moon (चन्द्र)
सूर्य के बाद ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र प्रधान ग्रह है | सूर्य यदि शरीर की आत्मा है तो चन्द्र मन है|  वेद में चन्द्र की उत्पत्ति के विषय में कहा गया है - चंद्रमा मनसो जातः अर्थात चन्द्र की उत्पत्ति उस विराट पुरुष के मन से हुई है | कुंडली में चन्द्र का क्या विचार होता है ? इस विषय में मै अपने विचार को प्रस्तुत कर रहा हूँ |
चन्द्र 
सूर्य के अनुसार चन्द्र भी आँखों का कारक माना जाता  है [ मेरे विचार में चन्द्र यदि निर्बल होगा तो रतौंधी जैसे रोगों को जन्म देता है ]
शरीर में चन्द्र का विचार 
ह्रदय , खून, यूरिन ,पाचक रस,पाचन क्रिया, यह चन्द्र विचार में आती है |
चन्द्र के गुण
चन्द्रमा शीतलता का कारक है | जलीय और तरल पदार्थ इसी के क्षेत्र में आते है |सबसे तीव्र चलने के कारण मौसम के परिवर्तन ,स्वभाव , भी यह देखता है | सैर करने की इच्छा , मौसम का आनंद लेने वाला स्वभाव , ठन्डे प्रदेश में खुश रहने वाला , जल का ज्यादा उपयोग करने  वाला भी चन्द्र ही है | देश प्रेम .स्नेह , लव,भी चन्द्र का ही विषय है |
चन्द्र से होने वाले रोग
चंद्रमा मन का कारक है अतः सभी मनो रोग , अजीब व्यवहार,उन्माद ,पागलपन,चिडचिडाना, खांसी,जुकाम,मौसम के द्वारा होने वाले रोग,हाजमे की शिकायत , कफ की परेशानी, आतंरिक भय   ये सब चन्द्र से ही देखे जाते है |
चन्द्र के कार्य क्षेत्र
चन्द्र का जल से सम्बन्ध है अतः सिंचाई विभाग,जल विभाग,मछली उद्योग,नौसेना और मोती का व्यवसाय ,कैरोसिन,पेट्रोल ,मानव सहयोगी संगठन ,रसों से जुड़ा व्यवसाय ,नर्सरी , फूल, आदि का विचार चन्द्र के द्वारा किया जाता है | 

सूर्य विचार

सूर्य [sun]
रवि ही सूर्य मंडल की आत्मा है | सूर्य न हो तो पूरा संसार ही तहस नहस हो जाये |
सूर्य शरीर में उत्साह बढाने वाला और आत्मा का कारक मन जाता है |                                                       
शरीर के हिस्से
रवि का आत्मा , चेतना शक्ति और ह्रदय पर अधिकार है | शरीर में उर्जा का कार्य ,रोग प्रति -शोधक का कार्य ,श्वेत पेशियों का निर्माण भी सूर्य के क्षेत्र में  है| आँखों की ज्योति  और शारीरिक शक्ति का भी विचार सूर्य से किया जाता है|
सूर्य के गुण
सूर्य पूरे संसार को प्रकाश देता है तो निश्चित है की सूर्य प्रभावित व्यक्ति भी सभी का हित करने वाला  होता है | सूर्य समय का प्रतीक है तो व्यक्ति भी अनुशासन प्रिय होता है | सच्चा प्यार करने वाला , अधिकार वृत्ति वाला,होनहार,खुशमिजाज , सभी को एक समान देखने वाला ,गुण ग्राही ,काम को ईमानदारी से करने वाला , निडर , सभी का विश्वास मानने वाला ,मान सम्मान प्रिय , भगवान को मानने वाला,(ये लोग कायिक पूजा कम करते हैं यह मेरा अनुभव है ) न्याय प्रिय, और समाज  में सम्मान पाने वाले होते हैं |
नोट - सूर्य के बताये गए फल उसके बल और कुंडली में स्वभाव के अनुसार मिलेंगे |
सूर्य का स्वास्थ्य विषय -
आँखों के रोग,दिल की बीमारी , हर तरह के बुखार,सिर के आतंरिक हिस्से की चोट,हड्डी के रोग,आग से भय,हाजमें की परेशानियाँ सूर्य के  द्वारा देखि जाती हैं|
सूर्य का स्थान-
शिव मंदिर , प्रशासनिक स्थान ,उर्जा विद्युत् केंद्र,हॉस्पिटल ,दवा निर्माण स्थान ,चिड़िया घर , रक्षा करने वाले स्थान |
सूर्य से प्रभावित कार्य -
सरकारी नौकरी,सरकारी संस्थाएं,उर्जा निर्माण केंद्र,अनाज के संग्रह करने वाले स्थान,टीका केंद्र,डॉक्टर,जनरेटर,विद्युत् उपकरण , वन क्षेत्र,राशन की दुकान |
अंक ज्योतिष में सूर्य का प्रभाव -
यह १ अंक का स्वामी है अतः १,१०,१९,२८, दिनांको को यह प्रभावित करता है|

rashion ke nam

राशियों के नाम                           
मेष                            Aries              
वृष                            Taurus
मिथुन                       Gemini
कर्क                           Cancer
सिंह                            Leo
कन्या                        Virgo
तुला                           Libra
वृश्चिक                       Scorpio
धनु                           Sagittarius
मकर                         Capricorn
कुम्भ                        Aquarius
मीन                          Pisces

Thursday, July 01, 2010

मेष लग्न

मेष लग्न का विचार .......
यह लग्न काल पुरुष की प्रथम राशि होने के कारण इससे सिर, मस्तिष्क,बालों का विचार किया जाता है | मनुष्य की सोच कैसी है? वह क्या चाहता है ? इन सभी प्रश्नों का विचार इसी राशि व लग्न से किया जाता है |
मेष लग्न वाले जातक साहसी ,जल्दी ही क्रोध करने वाले ,तेज स्वभाव के ज्यादा तर अस्थिर मष्तिष्क वाले होते हैं| ये स्वाभिमानी होते हैं | हमेशा किसी न किसी के साथ रहने वाले होते हैं | इनके आगे पीछे हमेशा कोई न कोई चलता रहेगा | इनको यदि कोई ताव में लाये तो तुरंत वैसा ही करने लगते हैं | इनका कद ज्यादातर ५.६\७ होता है यदि लग्न में राहु इत्यादि का प्रभाव हो इनका शरीर लम्बा हो जाता है |
Aries  Ascendant
You may be proud ,heroic,active,aggressive & always on the move or fond of walking.You may have a creation amount of independent thinking,reasoning faculty.You may be ambitious & enterprising.You will be capable and will have the ability to plan.You will not like to be guided by others.You will have your own ideas of right & wrong.........

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पाराशर के अनुसार ग्रह दृष्टि

पश्यन्ति सप्तमं सर्वे शनि जीव कुजः पुनः ।  विशेषतश्च त्रिदशत्रिकोणचतुरष्टमान् || भावः - यहाँ पर ग्रहों की दृष्टि के बारे में बतलाते हु...